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अयोध्या शहर का इतिहास

ऐतिहासिक रूप से अयोध्या को साकेत नाम से भी जाना जाता था, जो सभ्य भारत की छठी शताब्दी में एक प्रमुख शहर माना जाता था। वास्तव में, बुद्ध काल में, साकेत पर प्रसेनदी का शासन था, जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी। मौर्य काल में भी साकेत की प्रमुखता जारी रही और 190 ई॰पू॰ में पंचाला और माथुर के साथ संबद्ध कर बैक्ट्रीयन ग्रीक ने इस पर हमला कर दिया।

गुप्त काल के दौरान, कुमारगुप्त और सकंदगुप्त के शासनकाल में अयोध्या अपनी राजनीतिक स्थिति की प्रमुखता पर था, साम्राज्य की राजधानी पाटलीपुत्र से अयोध्या स्थानांतरित कर दी गयी, जिसके बाद साकेत का नाम अयोध्या कर दिया गया। अयोध्या शहर, भगवान राम की राजधानी के नाम से भी प्रसिद्ध है। लेकिन, नरसिम्हागुप्त के शासन के समय साम्राज्य को हंस द्वारा समाप्त कर दिया गया था, जिसके चलते छठी शताब्दी में राजधानी को कन्नौज स्थानांतरित कर दिया गया। जिसके चलते अयोध्या साम्राज्य का अस्तित्व कम हो गया। दूसरी सहस्राब्दी की शुरुआत में यहां कन्नौज के गढ़वालों का शासनकाल शुरु हो गया। गढ़वालों ने अपने शासनकाल में अयोध्या में बहुत से विष्णु मंदिरों का निर्माण करवाया। बाद के वर्षों में राम के पंथों ने राम को विष्णु का अवतार माना। इसके बाद अयोध्या की बतौर तीर्थस्थल काफी महत्ता बढ़ गयी।

भारत की स्वतंत्रता के बाद, अयोध्या को उत्तर प्रदेश में आध्यात्मिक रूप से एक प्रमुख शहर का दर्जा प्राप्त है।